उन्नाव रेप कांड में दिल्ली हाई कोर्ट से मुख्य दोषी और पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को मिली बङी राहत। अच्छे आचरण बना आधार

उन्नाव रेप कांड में दिल्ली हाई कोर्ट से मुख्य दोषी और पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को मिली बङी राहत। अच्छे आचरण बना आधार।।

नई दिल्ली: उन्नाव रेप कांड में कल यानी 23 दिसंबर 2025 को एक बहुत बड़ा अपडेट आया है, जिसने इस मामले को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले के मुख्य दोषी और पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।
​ताजा अपडेट के मुख्य बिंदु यहाँ दिए गए हैं:
1. कुलदीप सेंगर की सजा पर रोक (Suspension of Sentence)
​दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्नाव रेप मामले में कुलदीप सिंह सेंगर को सुनाई गई उम्रकैद की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने सेंगर को जमानत (Bail) भी दे दी है। यह फैसला सेंगर द्वारा अपनी सजा के खिलाफ दायर की गई अपील के लंबित रहने तक प्रभावी रहेगा।
​2. जमानत की सख्त शर्तें
​सजा पर रोक लगाने के साथ ही कोर्ट ने कुछ बेहद सख्त शर्तें भी रखी हैं:
​दूरी बनाए रखना: सेंगर को निर्देश दिया गया है कि वह पीड़िता के घर के 5 किलोमीटर के दायरे में नहीं जा सकेगा।
​दिल्ली में रहना: जमानत की अवधि के दौरान सेंगर को दिल्ली में ही रहना होगा।
​हाजिरी: उसे हर सोमवार सुबह 10 बजे स्थानीय पुलिस स्टेशन में हाजिरी देनी होगी।
​संपर्क पर रोक: वह पीड़िता या उसके परिवार को किसी भी तरह से धमका नहीं सकेगा और न ही उनसे संपर्क कर सकेगा।
​मुचलका: उसे 15 लाख रुपये का निजी मुचलका और इतनी ही राशि की तीन जमानतें जमा करने का आदेश दिया गया है।
3. पीड़िता का विरोध और प्रदर्शन
​हाई कोर्ट के इस फैसले से पीड़िता और उसका परिवार काफी आहत है। ताजा खबरों के अनुसार:
​पीड़िता ने इस फैसले के विरोध में दिल्ली में इंडिया गेट पर धरना देने की कोशिश की।
​उसका कहना है कि दोषी को बाहर छोड़ना उसकी और उसके परिवार की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए पीड़िता को प्रदर्शन स्थल से हटाया।
कोर्ट द्वारा दी गई कानूनी दलीलें (सजा पर रोक क्यों?)
​दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच ने कुलदीप सेंगर की सजा पर रोक लगाते समय कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं:
​लंबे समय से जेल में होना: कोर्ट ने गौर किया कि सेंगर दिसंबर 2019 से जेल में है (लगभग 6 साल)। सजा के खिलाफ उसकी मुख्य अपील अभी भी कोर्ट में लंबित है और उसकी सुनवाई में समय लग सकता है।
​अपील का अधिकार: अदालत का मानना है कि यदि अपील की सुनवाई में बहुत लंबा समय लग रहा हो, तो दोषी को सजा के निलंबन (Suspension of Sentence) के लिए विचार किया जा सकता है, बशर्ते वह शर्तों का पालन करे।
​स्वास्थ्य और आचरण: सेंगर के वकीलों ने उसके स्वास्थ्य और जेल के भीतर अच्छे आचरण का भी हवाला दिया था।
​घटना का संक्षिप्त बैकग्राउंड:
​2017: नाबालिग पीड़िता ने विधायक कुलदीप सेंगर पर रेप का आरोप लगाया।
​2019: दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने सेंगर को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
​2025: 6 साल जेल में बिताने के बाद हाई कोर्ट ने सजा निलंबित की है।
बङा सवाल कि क्या सेंगर जेल से बाहर आ जाएगा?
​सेंगर को रेप केस में जमानत मिल गई है, लेकिन उसके तुरंत जेल से बाहर आने पर अभी संशय है। इसकी वजह यह है कि वह पीड़िता के पिता की कस्टोडियल डेथ (हिरासत में मौत) के मामले में भी 10 साल की सजा काट रहा है। यदि उस मामले में भी उसे राहत मिलती है, तभी वह जेल से बाहर आ पाएगा।
पीड़िता की वर्तमान मांग
​पीड़िता ने मीडिया के सामने भावुक होते हुए कहा है कि "न्याय मर चुका है।" उसकी मुख्य मांगें हैं:
​दोषी को किसी भी कीमत पर बाहर न आने दिया जाए।
​सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस जमानत के खिलाफ तत्काल अपील (Appeal) दायर करे।
​परिवार के उन सदस्यों के लिए इंसाफ, जिनकी इस पूरी कानूनी लड़ाई के दौरान अलग-अलग हादसों में मौत हो गई।



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