PM मोदी का बड़ा आरोप, 'गांव के गांव वक्फ के नाम किए जा रहे थे, हमने उसे खत्म किया'"

📰"बिहार में वक्फ जमीन पर अवैध कब्जे: PM मोदी का बड़ा आरोप, 'गांव के गांव वक्फ के नाम किए जा रहे थे, हमने उसे खत्म किया'"

 

सूरत/नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की शानदार जीत के एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर तीखा हमला करते हुए वक्फ (संशोधन) अधिनियम और राज्य में कथित भूमि कब्ज़े को एक बड़ा मुद्दा बनाया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बिहार में सार्वजनिक और निजी जमीनों पर अवैध कब्जा करके उन्हें वक्फ की संपत्ति घोषित किया जा रहा था।

 

पीएम मोदी के मुख्य आरोप

सूरत में बिहार के लोगों की एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने वक्फ कानून को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा। उनके प्रमुख बयान और आरोप इस प्रकार रहे:

 

जमीनों पर अवैध कब्जा: पीएम मोदी ने कहा, "बिहार में खुलेआम जमीनों को दखल करके, घरों पर कब्जा करके उन्हें वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया जाता था।"

 

'गांव के गांव वक्फ के नाम': उन्होंने इस कार्रवाई की भयावहता बताते हुए कहा, "तमिलनाडु में भी ऐसा हुआ, और बिहार में तो गांव के गांव जमीन वक्फ के नाम कर दिए जाते थे।"

 

कठोर कानून की आवश्यकता: उन्होंने इस गंभीर स्थिति को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाए गए वक्फ (संशोधन) कानून की आवश्यकता पर बल दिया।

बिहार के लोगों ने जहर को नकारा: प्रधानमंत्री ने सीधे तौर पर विपक्ष पर वार किया और कहा कि बिहार चुनाव के दौरान 'जमानती' (बेल पर छूटे हुए) नेता और उनके सहयोगी खुलेआम वक्फ कानून की प्रतियां फाड़ते थे और इसे बिहार में लागू न करने की धमकी देते थे।

 

जनता का फैसला: पीएम मोदी ने कहा, "बिहार की जनता ने इस सांप्रदायिक जहर को पूरी तरह से नकार दिया है और विकास के मार्ग को चुना है।"

 

विपक्ष पर सीधा हमला

पीएम मोदी का इशारा राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव की ओर था, जिन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान वक्फ संशोधन अधिनियम को सत्ता में आने पर 'कूड़ेदान में फेंकने' की बात कही थी। पीएम मोदी ने बिना नाम लिए विपक्ष के नेताओं को 'जमानती बेटा' (Bail-bound leaders) और 'नामदार' कहकर संबोधित किया और उन पर जातिवाद और सांप्रदायिकता का जहर फैलाने का आरोप लगाया।

 

वक्फ कानून और उसका प्रभाव

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, जो हाल ही में संसद द्वारा पारित किया गया, का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाना और मुस्लिम समाज के पिछड़े वर्ग (पसमांदा) और महिलाओं के हितों की रक्षा करना है। हालांकि, विपक्ष का तर्क रहा है कि यह कानून अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन करता है और उनकी धार्मिक संपत्तियों में सरकारी दखलंदाजी बढ़ाता है।

 

पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि बिहार के लोगों ने जातिवाद और सांप्रदायिक विभाजन की राजनीति को पूरी तरह खारिज करके विकास के एजेंडे को चुना है।

प्रधानमंत्री मोदी ने जिस "वक्फ बिल" (वक्फ संशोधन अधिनियम) का उल्लेख किया है, यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण और विवादास्पद विषय है। उसके मुख्य उद्देश्य और बदलाव वक्फ अधिनियम, 1995 की कमियों को दूर करने और विशेष रूप से 2013 के संशोधन (जो UPA सरकार के दौरान हुए थे) द्वारा दी गई कुछ शक्तियों को कम करने से संबंधित हैं।


संक्षेप में: पीएम मोदी के आरोप इन्हीं बदलावों के इर्द-गिर्द हैं। उनका तर्क है कि पुराना कानून (विशेष रूप से 2013 का संशोधन) वक्फ बोर्डों को असीमित शक्ति देता था, जिसका दुरुपयोग सरकारी और निजी संपत्तियों को हड़पने के लिए किया जा रहा था। नए संशोधन इन शक्तियों को नियंत्रित करके पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का प्रयास करते हैं।


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