छपरा में भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव को साधारण कार्यकर्त्ता छोटी कुमारी ने दी पटखनी

💥 स्टारडम फेल, संगठन पास: छपरा में भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव को साधारण कार्यकर्त्ता छोटी कुमारी ने दी पटखनी

​छपरा/पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों में सबसे चौंकाने वाले नतीजों में से एक छपरा विधानसभा सीट से सामने आया है, जहाँ भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के ‘सुपरस्टार’ और आरजेडी उम्मीदवार खेसारी लाल यादव को हार का सामना करना पड़ा है। उन्हें हराने वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की उम्मीदवार कोई कद्दावर नेता नहीं, बल्कि एक साधारण पार्टी कार्यकर्त्ता और ज़मीनी नेता छोटी कुमारी हैं। इस परिणाम ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि बिहार की राजनीति में ‘सेलिब्रिटी’ का चकाचौंध संगठन और ज़मीनी जुड़ाव के आगे फीका पड़ जाता है।

​7,600 वोटों से हारे खेसारी

​खेसारी लाल यादव, जिनका वास्तविक नाम शत्रुघ्न कुमार यादव है, ने छपरा सीट से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के टिकट पर अपना राजनीतिक डेब्यू किया था। उनके विशाल फैनबेस को देखते हुए यह सीट महागठबंधन के लिए लगभग ‘सुरक्षित’ मानी जा रही थी। हालाँकि, बीजेपी की उम्मीदवार छोटी कुमारी ने उन्हें 7,600 वोटों के अंतर से करारी शिकस्त दी।

 

उम्मीदवार

पार्टी

प्राप्त वोट

परिणाम

छोटी कुमारी

भाजपा

86,845

विजयी

खेसारी लाल यादव

राजद

79,245

पराजित

जीत का अंतर

-

7,600 वोट

-

 

कौन हैं बीजेपी की ‘छोटी कुमारी’?

​छोटी कुमारी का चुनावी जीतना कई मायनों में असाधारण है। वह किसी राजनीतिक परिवार से नहीं आतीं और उनकी पहचान एक सक्रिय बीजेपी कार्यकर्त्ता और ज़मीनी स्तर की नेता के तौर पर रही है।

​राजनीतिक पृष्ठभूमि: खेसारी लाल यादव के विपरीत, छोटी कुमारी ग्लैमर की दुनिया से दूर हैं। वह पहले जिला परिषद अध्यक्ष का चुनाव जीत चुकी हैं और लंबे समय से क्षेत्र में सामाजिक और राजनीतिक रूप से सक्रिय रही हैं।

​साफ छवि: उनकी छवि इलाके में एक ईमानदार और समर्पित कार्यकर्त्ता की है।

​संगठन का बल: बीजेपी ने निवर्तमान विधायक का टिकट काटकर छोटी कुमारी पर भरोसा जताया। उनकी जीत बीजेपी के मजबूत बूथ प्रबंधन और कार्यकर्ताओं की संगठनात्मक शक्ति को दर्शाती है, जो कि स्टारडम से ज्यादा प्रभावी साबित हुआ।

​स्टार पावर क्यों हुई फेल?

​छपरा के परिणाम ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि भोजपुरी सिनेमा का स्टारडम वोटों में तब्दील होना ज़रूरी नहीं है।

​स्थानीय जुड़ाव बनाम बाहरी छवि: खेसारी लाल यादव पर उनके विरोधियों ने ‘बाहरी’ होने का ठप्पा लगाया, जबकि छोटी कुमारी का अपने क्षेत्र में गहरा ज़मीनी जुड़ाव था। मतदाताओं ने एक ऐसे नेता पर भरोसा जताया जो सुख-दुख में उनके बीच मौजूद रहा।

​अनुशासन और संगठन: बीजेपी का कैडर आधारित अनुशासन और मजबूत संगठन, महागठबंधन के व्यक्ति विशेष केंद्रित प्रचार पर भारी पड़ा।

​जातिगत समीकरण: छपरा सीट पर बीजेपी अपने पारंपरिक वोट बैंक और जातिगत समीकरणों को साधने में सफल रही, जबकि खेसारी लाल यादव सिर्फ अपने प्रशंसक आधार पर निर्भर रहे, जो स्थानीय राजनीति के जटिल समीकरणों के सामने कम पड़ गया।

​छोटी कुमारी की जीत ने बिहार की राजनीति में एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि बड़े नाम या ग्लैमर के बजाय, सक्रियता, समर्पण और ज़मीनी काम ही विधानसभा तक का रास्ता तय करते हैं।

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