मदन शाह ने संजय यादव पर लगाए गंभीर आरोप, पार्टी से निकालने की मांग
📰"टिकट कटने पर आरजेडी में भूचाल: मदन शाह ने
संजय यादव पर लगाए गंभीर आरोप, पार्टी से निकालने की मांग"
पटना/मोतिहारी: राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के
वरिष्ठ नेता और मधुबन विधानसभा सीट से पूर्व प्रत्याशी रहे मदन शाह ने इस बार टिकट
नहीं मिलने के बाद पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए हैं। टिकट वितरण से नाराज़
शाह ने न केवल पटना में पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के आवास के बाहर
हाई-वोल्टेज ड्रामा किया,
बल्कि उन्होंने
पार्टी के एक प्रमुख रणनीतिकार संजय यादव पर सीधा हमला बोलते हुए उन्हें पार्टी से
हटाने की मांग की है।
विरोध का नाटकीय प्रदर्शन
सूत्रों के अनुसार, मधुबन सीट से दोबारा टिकट
की उम्मीद कर रहे मदन शाह को जब टिकट नहीं दिया गया, तो उन्होंने राबड़ी देवी-लालू यादव के आवास के
बाहर सड़क पर लेटकर, कुर्ता फाड़कर और
रोते हुए अपना विरोध दर्ज कराया। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि टिकट
नहीं मिलने के दर्द ने उन्हें पागल बना दिया था।
"25 सीटों पर सिमटने" का श्राप और संजय यादव
पर आरोप
मदन शाह ने आरोप लगाया कि पार्टी के अंदर कुछ
लोग 'चाणक्य' बनकर काम कर रहे हैं और
उन्हीं की वजह से पार्टी को भारी नुकसान हुआ है।
संजय यादव पर सीधा आरोप: उन्होंने स्पष्ट रूप
से संजय यादव का नाम लेते हुए कहा कि उन्हें टिकट देने के बदले में कथित तौर पर
बड़ी रकम की मांग की गई थी। उन्होंने कहा कि पैसे न देने पर मधुबन सीट से एक ऐसे
व्यक्ति को टिकट दिया गया,
जो कथित तौर पर
पार्टी का प्राथमिक सदस्य तक नहीं था और सरकारी डॉक्टर था।
पार्टी से निकालने की मांग: शाह ने आरोप लगाया
कि जब तक ऐसे "जयचंदों" (कथित तौर पर संजय यादव की ओर इशारा करते हुए)
को पार्टी से नहीं निकाला जाएगा, तब तक आरजेडी का भला नहीं होगा।
हार की भविष्यवाणी (श्राप): गुस्से और निराशा
में मदन शाह ने आरजेडी को '25 सीटों पर सिमट
जाने' का श्राप तक दे
दिया था। हालिया चुनाव परिणामों के बाद, उन्होंने दावा किया कि उनका श्राप सच साबित हुआ, जिससे उनके आरोपों को और
बल मिला है।
पार्टी की प्रतिक्रिया
हालांकि मदन शाह के आरोपों पर आरजेडी या संजय
यादव की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन टिकट वितरण को लेकर उपजा यह विवाद अब बिहार के सियासी
गलियारों में एक बड़ा मुद्दा बन गया है। पार्टी के अंदरखाने से आ रही ऐसी आवाज़ें
संगठन की आंतरिक स्थिति पर सवाल खड़ा करती हैं।
मदन शाह ने कहा है कि वह आज भी पार्टी के लिए
दुखी हैं, लेकिन उनका यह
दर्द उन लोगों के खिलाफ है जो कार्यकर्ताओं के हक को मारकर टिकट बेचते हैं।
यह जानकारी, मदन शाह के आरोपों के संदर्भ में, 2020 बिहार विधानसभा चुनाव के
परिणामों से जुड़ी है।
मधुबन विधानसभा सीट: 2020 चुनाव परिणाम
जिस मदन शाह को टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने
संजय यादव पर आरोप लगाए थे,
उसी सीट पर
आरजेडी (RJD) ने उन्हें ही
उम्मीदवार बनाया था।
|
उम्मीदवार
का नाम |
पार्टी |
प्राप्त
वोट |
स्थान |
जीत/हार
का अंतर |
|
राणा
रणधीर सिंह |
भारतीय
जनता पार्टी (BJP) |
73,179 |
विजेता |
5,878 |
|
मदन
प्रसाद |
राष्ट्रीय
जनता दल (RJD) |
67,301 |
उपविजेता |
– |
|
नोटा
(NOTA) |
– |
3,732 |
तीसरा |
– |
विजेता: राणा रणधीर सिंह (बीजेपी)
उपविजेता: मदन प्रसाद (आरजेडी)
हार का अंतर: 5,878 वोट।
निष्कर्ष और महत्वपूर्ण बिंदु
उम्मीदवार: मदन शाह के आरोपों के बावजूद, आरजेडी ने उन्हें ही 2020
में मधुबन सीट से उम्मीदवार बनाया था। (संभव है कि उनके आरोप 2020 के टिकट वितरण
से पहले लगाए गए हों, या वह किसी और
चुनाव की बात कर रहे हों,
लेकिन 2020 में
वह उम्मीदवार थे)।
प्रदर्शन: मदन शाह (मदन प्रसाद) ने बीजेपी के
उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दी, लेकिन वह 5,878 वोटों के मामूली अंतर से चुनाव हार गए।
नोटा का महत्व: इस चुनाव में नोटा (NOTA) को भी 3,732 वोट मिले, जो हार-जीत के अंतर
(5,878) से थोड़ा ही कम था।
मदन शाह के विरोध और आरोपों को देखते हुए, यह चुनाव परिणाम दर्शाता
है कि वह सीट जीतने के बेहद करीब थे, जिससे टिकट न मिलने या वितरण पर उनके मन में उपजा गुस्सा और
भी बड़ा हो सकता है।
