मध्य प्रदेश के किसान बदहाल: एक रुपये प्रति किलो बिक रही प्याज, लागत निकालना हुआ मुश्किल
🧅 मध्य प्रदेश के किसान बदहाल: एक
रुपये प्रति किलो बिक रही प्याज, लागत निकालना हुआ मुश्किल
भोपाल/इंदौर: मध्य प्रदेश के प्याज किसानों को इस
बार बंपर उत्पादन के बावजूद बड़ी आर्थिक मार झेलनी पड़ रही है। 12 नवंबर 2025 को
राज्य की प्रमुख मंडियों, खासकर इंदौर और मंदसौर में प्याज की थोक कीमतें गिरकर
मात्र 1 रुपये से 2 रुपये प्रति किलोग्राम तक आ गईं, जिससे किसान अपनी लागत
निकालने में भी असमर्थ हो गए हैं।
📉 कीमतों में भारी गिरावट के मुख्य
कारण
प्याज की कीमतों में यह ऐतिहासिक गिरावट कई कारणों
से आई है:
बंपर उत्पादन: इस साल अनुकूल मौसम के कारण मध्य
प्रदेश में प्याज का रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन हुआ है।
बाजार में अत्यधिक आवक: कटाई होते ही बड़ी मात्रा
में प्याज एक साथ मंडियों में पहुंच गई, जिससे मांग से ज्यादा आपूर्ति हो गई।
सरकारी हस्तक्षेप की कमी: किसानों का आरोप है कि इस
संकट के दौरान सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर
खरीद शुरू करने या प्याज के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं
उठाया।
🧑🌾 किसानों
की दर्दभरी कहानी: ‘लागत भी नहीं निकल रही’
किसानों का कहना है कि 1 रुपये प्रति किलो का दाम तो
परिवहन और तुलाई (वजन कराने) का खर्च भी नहीं निकाल पा रहा है।
लागत: एक अनुमान के मुताबिक, प्याज उगाने में
किसानों की प्रति किलो 5 रुपये से 7 रुपये तक की लागत आती है, जिसमें बीज, खाद,
श्रम और सिंचाई का खर्च शामिल होता है।
नुकसान: 1 या 2 रुपये के दाम पर बेचने का मतलब है कि
किसान को प्रति किलो 4 से 6 रुपये का सीधा नुकसान उठाना पड़ रहा है। कई किसान तो
अपनी फसल को सड़क पर फेंकने या पशुओं को खिलाने पर मजबूर हैं, क्योंकि मंडी तक
लाने का खर्च भी मुनाफे से ज्यादा हो रहा है।
कर्ज का डर: किसानों का कहना है कि यह स्थिति उन्हें
कर्ज के गहरे दलदल में धकेल रही है, जिससे उनके परिवार के भरण-पोषण पर संकट मंडरा
रहा है।
🗣️ सरकार और व्यापारियों का रुख
व्यापारी इस गिरावट का कारण बाजार में प्याज की
गुणवत्ता को भी बता रहे हैं, हालांकि किसानों का कहना है कि उनकी प्याज अच्छी है।
राज्य सरकार ने अभी तक इस संकट पर कोई बड़ा कदम नहीं
उठाया है। किसान संगठन लगातार सरकार से तत्काल खरीद केंद्र स्थापित करने और
किसानों को उचित मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।
🔮 आगे क्या?
यदि यह स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो आने वाले दिनों
में और अधिक किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। सरकार पर अब निर्यात
सब्सिडी देने, बफर स्टॉक बनाने और किसानों को तत्काल राहत पैकेज देने का दबाव बढ़
रहा है ताकि इस कृषि संकट को नियंत्रित किया जा सके।
