विपक्षी का बङा आरोपः बिहार मतदान से पहले मतदाताओं की संख्या 7.42 थे, जो मतदान बाद 7.45 हो गए।।
विपक्षी
का बङा आरोपः बिहार मतदान से पहले मतदाताओं की संख्या 7.42
थे, जो मतदान बाद 7.45 हो गए।।
पटना//बिहारः
बिहार मतदान से पहले मतदाताओं की संख्या 7.42 लाख थे लेकिन मतदान बाद 7.45 हो गए
हैं की ख़बर पर बिहार विधानसभा चुनाव के बाद काफी चर्चा में रहा है और इस पर
विपक्षी दलों ने सवाल उठाए।
आपके
द्वारा दिए गए आँकड़े हैं:
चुनाव
से ठीक पहले (30 सितंबर को अंतिम सूची): लगभग 7.42 करोड़ मतदाता।
मतदान
के बाद जारी आंकड़ा: लगभग 7.45 करोड़ मतदाता।
(नोट:
7.83 करोड़ का आंकड़ा संभवतः एक पुरानी बड़ी संख्या या किसी प्रारंभिक चरण का
आंकड़ा हो सकता है, लेकिन अंतिम मतदाता सूची और मतदान के बाद के आंकड़े में मुख्य
अंतर लगभग 3 लाख मतदाताओं का था।)
आइए,
चुनाव आयोग (ECI) द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण को समझते
हैं:
1.
🔍 अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन
7.42
करोड़: यह वह संख्या थी जो विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया
पूरी होने के बाद 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के समय जारी की गई
थी।
2.
➕ चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण
(3 लाख की वृद्धि पर)
चुनाव
आयोग ने बताया कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के नियमों के तहत, मतदाता सूची में नाम
जोड़ने की प्रक्रिया नामांकन की अंतिम तिथि से 10 दिन पहले तक जारी रहती है।
कारण:
समय
सीमा: 30 सितंबर को अंतिम सूची प्रकाशित होने के बाद भी, कई योग्य नागरिकों ने
ऑनलाइन/ऑफलाइन फॉर्म 6 के माध्यम से पंजीकरण के लिए आवेदन किया था।
कानूनी
अधिकार: नामांकन की अंतिम तिथि से 10 दिन पहले तक (अलग-अलग चरणों के लिए अलग-अलग)
प्राप्त सभी वैध आवेदनों की जाँच की गई और योग्य मतदाताओं के नाम सूची में जोड़े
गए ताकि वे अपने मताधिकार से वंचित न हों।
परिणाम:
इस अवधि के दौरान (30 सितंबर से नामांकन की अंतिम तिथि की कट-ऑफ तक) लगभग 3 लाख नए
मतदाताओं के नाम जोड़े गए।
अंतिम
संख्या: इस बढ़ोतरी के कारण, मतदान के दिन जारी कुल मतदाताओं की संख्या 7.42 करोड़
से बढ़कर लगभग 7.45 करोड़ हो गई।
3.
⚖️ राजनीतिक विवाद
विपक्षी
दलों (जैसे कांग्रेस) ने इस वृद्धि पर सवाल उठाए थे और इसे संदिग्ध करार दिया था।
आरोप:
उनका तर्क था कि कुछ ही दिनों में इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं का बढ़ना
असामान्य है, और यह चुनावी पारदर्शिता पर संदेह पैदा करता है।
चुनाव
आयोग का रुख: चुनाव आयोग ने जोर देकर कहा कि यह पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया का
हिस्सा है जो हर चुनाव से पहले होती है, और यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी योग्य
नागरिक मतदान से वंचित न रहे।
संक्षेप
में, मतदाताओं की संख्या में यह वृद्धि (7.42 करोड़ से 7.45 करोड़ तक) चुनाव आयोग
के अनुसार, मतदान की प्रक्रिया शुरू होने से पहले तक नए और वैध पंजीकरण को शामिल
करने का एक कानूनी परिणाम था।
चुनाव
आयोग ने इन 3 लाख मतदाताओं के प्रोफ़ाइल (जैसे, आयु, लिंग या क्षेत्र) का विस्तृत
सार्वजनिक डेटा जारी नहीं किया है। उन्होंने केवल यह स्पष्टीकरण दिया है कि ये नाम
कानूनी प्रक्रिया के तहत जोड़े गए थे।
हालांकि,
हम समग्र (Overall) मतदाता सूची और मतदान
भागीदारी के रुझानों के आधार पर कुछ अनुमान लगा सकते हैं:
1.
👧 महिला मतदाताओं पर रुझान
बिहार
चुनाव 2020 में महिला मतदाताओं की भागीदारी पुरुषों की तुलना में काफी अधिक रही।
महिला
मतदान: लगभग 71.6\%
पुरुष
मतदान: लगभग 62.8\%
अनुमान:
इस बात की प्रबल संभावना है कि 30 सितंबर के बाद नामांकन की अंतिम तिथि तक जोड़े
गए नए 3 लाख मतदाताओं में महिलाओं का प्रतिशत सामान्य से अधिक रहा होगा, क्योंकि
महिला सशक्तीकरण और उच्च भागीदारी पर जोर दिया जा रहा था।
2.
🧑🤝🧑 युवा
मतदाता (18-19 वर्ष आयु वर्ग)
चुनाव
से पहले युवा मतदाताओं को मतदाता सूची में शामिल करने के लिए विशेष अभियान चलाए
जाते हैं।
अनुमान:
18 से 19 वर्ष की आयु के मतदाता, जिन्होंने 1 अक्टूबर से पहले 18 वर्ष पूरे किए थे
और पंजीकरण नहीं करवा पाए थे, उन्होंने इस अंतिम अवधि के दौरान बड़ी संख्या में
पंजीकरण कराया होगा।
3.
⚖️ प्रक्रिया और पारदर्शिता
चुनाव
आयोग ने स्पष्ट किया कि ये सभी 3 लाख आवेदन ऑनलाइन/ऑफलाइन ‘फॉर्म 6’ के माध्यम से
प्राप्त हुए थे, और पात्रता की जाँच के बाद नियमानुसार ही जोड़े गए।
निष्कर्ष:
चूंकि आयोग ने 3 लाख नए मतदाताओं के विशिष्ट demographic break-up (जाति, लिंग, क्षेत्र) का डेटा सार्वजनिक नहीं किया है, इसलिए हम केवल रुझानों के आधार पर अनुमान लगा सकते हैं कि इसमें युवाओं और महिलाओं का प्रतिशत महत्वपूर्ण रहा होगा। राजनीतिक विवाद के बावजूद, आयोग का कहना है कि यह एक पारदर्शी और कानूनी प्रक्रिया थी।
