महिला मतदाताओं की रिकॉर्ड-तोड़ भागीदारी बिहार विधान सभा चुनाव 2025 ।।

​महिला मतदाताओं की रिकॉर्ड-तोड़ भागीदारी बिहार विधान सभा चुनाव 2025 ।।

पटना//बिहारः 2025 के चुनाव में महिला मतदाताओं की रिकॉर्ड-तोड़ भागीदारी (71.78\%) ने चुनावी परिणामों पर गहरा और निर्णायक प्रभाव डाला है। यह समूह अब बिहार की राजनीति में एक अत्यंत महत्वपूर्ण वोट बैंक बन चुका है।

यह जानकारी बिल्कुल ऐतिहासिक है! बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महिला मतदाताओं ने एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है और पुरुषों की तुलना में काफी अधिक भागीदारी दर्ज की है।

​यहाँ 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में महिला और पुरुष मतदाताओं की भागीदारी के आधिकारिक आँकड़े दिए गए हैं:

🌟 2025 बिहार विधानसभा चुनाव: लिंग-वार मतदान

 

श्रेणी

मतदान प्रतिशत

महिला मतदाता

71.78\%

पुरुष मतदाता

62.98\%

कुल मतदान प्रतिशत

67.13\%

 

​रिकॉर्ड अंतर: महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में लगभग 8.8 प्रतिशत अंक अधिक मतदान किया।

​ऐतिहासिक उपलब्धि: 71.78\% का महिला मतदान प्रतिशत बिहार के चुनावी इतिहास में अब तक का सबसे अधिक है। यह 1951 के बाद से राज्य में दर्ज किया गया सबसे अधिक कुल मतदान (67.13\%) भी है।

💡 इस उच्च भागीदारी के मुख्य कारण

​राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महिलाओं की इस अभूतपूर्व भागीदारी के पीछे कई कारण रहे हैं:

​कल्याणकारी योजनाएँ (Welfare Schemes): सरकार द्वारा चलाई जा रही महिला-केंद्रित योजनाओं (जैसे मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना के तहत ₹10,000 की सहायता, जीविका दीदी कार्यक्रम, कन्या उत्थान योजना, आदि) ने महिलाओं को मतदान के लिए प्रेरित किया।

सुरक्षा और कानून व्यवस्था (Safety & Law and Order): महिलाओं ने सुरक्षा और कानून व्यवस्था में सुधार को एक महत्वपूर्ण कारक माना, जिसके कारण उन्होंने बड़ी संख्या में मतदान किया।

​जनसांख्यिकीय बदलाव (Demographic Shift): काम की तलाश में पुरुषों के पलायन (Migration) की उच्च दर के कारण, महिलाओं की संख्या मतदान केंद्रों पर तुलनात्मक रूप से अधिक रही।

​महिलाओं की यह रिकॉर्ड भागीदारी 2025 के चुनावी जनादेश में एक निर्णायक कारक साबित हुई है।

यहाँ महिला मतदान की इस उच्च वृद्धि के मुख्य राजनीतिक परिणाम दिए गए हैं:

1.   🥇 NDA के लिए निर्णायक कारक (Decisive Factor for NDA)

​कल्याणकारी योजनाओं का समर्थन: महिला मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा पारंपरिक रूप से उन पार्टियों को वोट देता है जो कल्याणकारी योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करती हैं (जैसे मुफ्त राशन, शराबबंदी, बिजली, जल और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं)।

NDA को स्पष्ट लाभ: विश्लेषकों के अनुसार, महिलाओं ने एनडीए गठबंधन को अधिक समर्थन दिया, खासकर जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) को। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिला-केंद्रित योजनाएं (जैसे साइकिल योजना, जीविका) महिला मतदाताओं को एक मजबूत आधार प्रदान करती हैं, जिससे एनडीए को स्पष्ट बहुमत प्राप्त करने में मदद मिली।

2.   📉 पुरुष-आधारित मुद्दों पर असर कम

जाति-आधारित राजनीति पर असर: महिला मतदाता अक्सर जाति-आधारित समीकरणों की तुलना में विकास और बुनियादी सुविधाओं को अधिक महत्व देती हैं। उनकी उच्च भागीदारी ने केवल जातिगत आधार पर वोट मांगने वाली पार्टियों के प्रभाव को कुछ हद तक कमजोर किया।

अर्थव्यवस्था बनाम सामाजिक सुधार: जहाँ पुरुष मतदाता अक्सर रोज़गार और कृषि जैसे बड़े आर्थिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, वहीं महिला मतदाता सुरक्षा, कानून व्यवस्था, शराबबंदी और घरेलू सुविधाओं को प्राथमिकता देती हैं, जिससे सामाजिक सुधारों को लागू करने वाली सरकार को फायदा होता है।

3.   🎯 पार्टियों का एजेंडा बदलना

एजेंडा सेटिंग: अब सभी राजनीतिक दलों को अपने चुनावी घोषणापत्रों में महिला सशक्तीकरण और सुरक्षा को केंद्रीय विषय बनाना पड़ा है। भविष्य के चुनाव पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करेंगे कि कौन सी पार्टी महिला केंद्रित योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू कर पाती है।

टिकट वितरण: महिला मतदाताओं के महत्व को देखते हुए, राजनीतिक दलों पर अधिक महिलाओं को चुनावी टिकट देने का दबाव बढ़ा है।

2025 में महिला मतदाताओं ने “साइलेंट वोटर” से हटकर “डिसाइडिंग वोटर” की भूमिका निभाई है। उनकी रिकॉर्ड भागीदारी ने यह साबित कर दिया है कि बिहार में सत्ता हासिल करने के लिए महिलाओं का समर्थन अब सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक कुंजी है।

POPULAR POST

एक कप चाय, मिट्टी वाली में - चाय को पीने में जो मजा है, वो मजा सात समन्दर पार जाकर भी नहीं वो कैसे !

एक सेल्स मैन का काम कर रहें हैं तो आपको इस एक बात का ख्याल अवश्य रखना चाहिए।