राहुल गांधी के 'वोट चोरी' मुद्दे से उमर अब्दुल्ला ने झाड़ा पल्ला, 'INDIA' गठबंधन में एजेंडा पर मतभेद उजागर
राहुल गांधी के 'वोट चोरी' मुद्दे से उमर अब्दुल्ला ने झाड़ा पल्ला, 'INDIA' गठबंधन में एजेंडा पर मतभेद उजागर
श्रीनगर/नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा उठाए गए 'वोट चोरी' और चुनावी अनियमितताओं के आरोपों को लेकर 'INDIA' गठबंधन से किनारा कर लिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यह मुद्दा पूरी तरह से कांग्रेस का अपना राजनीतिक एजेंडा है और विपक्षी गठबंधन का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस पार्टी, विशेष रूप से राहुल गांधी, चुनाव आयोग (EC) और केंद्र सरकार पर 'वोट चोरी' और 'वोटर लिस्ट में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR)' के जरिए लोकतंत्र को कमजोर करने के गंभीर आरोप लगा रहे हैं। हाल ही में कांग्रेस ने दिल्ली के रामलीला मैदान में 'वोट चोर गद्दी छोड़' रैली का भी आयोजन किया था।
👉 "हर पार्टी अपना एजेंडा चुनने को स्वतंत्र"
श्रीनगर में पत्रकारों से बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने इस मुद्दे पर गठबंधन की स्थिति स्पष्ट कर दी। उन्होंने कहा:
"यह 'INDIA' गठबंधन का मुद्दा नहीं है, गठबंधन का इससे कोई लेना-देना नहीं है। हर राजनीतिक दल को अपना एजेंडा तय करने की पूरी स्वतंत्रता है। कांग्रेस ने 'SIR' और 'वोट चोरी' को अपना मुख्य राजनीतिक मुद्दा बनाया है। हम उन्हें कुछ और बताने वाले कौन होते हैं? हम अपने मुद्दे चुनेंगे और वे अपने चुनेंगे।"
नेशनल कॉन्फ्रेंस 'INDIA' गठबंधन का एक प्रमुख घटक दल है, लेकिन अब्दुल्ला के इस बयान ने गठबंधन के भीतर मुद्दों की एकरूपता की कमी को उजागर कर दिया है। यह दिखाता है कि कांग्रेस द्वारा उठाए गए 'वोट चोरी' के नैरेटिव पर सभी सहयोगी दल पूरी तरह सहमत नहीं हैं।
👉 सहयोगी दलों का दूरी बनाना
उमर अब्दुल्ला अकेले ऐसे नेता नहीं हैं जिन्होंने कांग्रेस के इस अभियान से दूरी बनाई है।
एनसीपी (शरद पवार गुट) की सांसद सुप्रिया सुले ने भी लोकसभा के भीतर राहुल गांधी के तर्कों को खारिज करते हुए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर पूरा भरोसा जताया।
यह घटनाक्रम दर्शाता है कि जहां कांग्रेस इस नैरेटिव के साथ जमीनी स्तर पर मतदाताओं को जुटाने की कोशिश कर रही है, वहीं गठबंधन के अन्य दल इसे सहयोगी दलों का साझा मुद्दा बनाने से परहेज कर रहे हैं।
👉 राजनीतिक मायने और परिणाम
उमर अब्दुल्ला का यह बयान गठबंधन की रणनीति के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
गठबंधन की एकजुटता पर सवाल: इससे यह स्पष्ट होता है कि 'INDIA' गठबंधन एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम (CMP) होने के बावजूद, हर राजनीतिक मुद्दे पर एकमत नहीं है।
बीजेपी को मौका: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तुरंत अब्दुल्ला के बयान को भुनाया है। भाजपा नेताओं ने इसे कांग्रेस के आरोपों की विश्वसनीयता पर सवाल बताते हुए विपक्षी गठबंधन के आंतरिक मतभेदों का प्रमाण बताया है।
कांग्रेस की विश्वसनीयता पर दबाव: एक प्रमुख सहयोगी दल द्वारा सार्वजनिक रूप से दूरी बना लेने से कांग्रेस के 'वोट चोरी' अभियान की ताकत पर सीधा असर पड़ सकता है, खासकर राष्ट्रीय स्तर पर।
हालांकि, अब्दुल्ला ने अपनी पार्टी के 'INDIA' गठबंधन का हिस्सा बने रहने की पुष्टि की है, लेकिन उनके बयान ने आगामी चुनावों से पहले विपक्षी खेमे में रणनीतिक मतभेद की खबरों को बल दिया है।
